15 January 2019
Supreme Court
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PRABIR PAL Vs UNION OF INDIA

Bench: HON'BLE MR. JUSTICE A.M. KHANWILKAR, HON'BLE MR. JUSTICE AJAY RASTOGI
Case number: C.A. No.-000817-000818 / 2019
Diary number: 38905 / 2016
Advocates: AMIT PAWAN Vs


1

भारतीय सर्वोच्च न्यायालय  दीर्वानी अपीलीय अधिकाररता  

   

दीर्वानी अपील संख्या 817-818/2019  (वर्वशषे अनमुतत याधचका (दीर्वानी) सं. 1926-1927/2017  से उत्पन्न)  

 

प्रबीर पाल         अपीलार्थी(गण)  

बनाम  

भारत संघ एर्व ंअन्य                              प्रत्यर्थी(गण)  

आदेश  

अनमुतत प्रदान  

पक्षकारों के फ़ाज़िल अधिर्वक्तागण को सनुा गया|  

यह अपील ददल्ली उच्च न्यायलय, नई ददल्ली द्र्वारा ररट याधचका  

(दीर्वानी) संख्या 494/2016  में ददनाकं 12.07.2016  को पाररत तनणणय एरं्व  

आदेश पर आक्षेप करती है ज़िसके द्र्वारा अपीलार्थी द्र्वारा दायर की गई  

ररट याधचका इस आिार पर खाररि कर दी गई कक अपीलार्थी से र्वररष्ठ  

व्यज़क्तगण भारत ततब्बत सीमा पलुलस में (योिक ललवपक र्वगीय)  

तनरीक्षक से आमेलन हेतु वर्वचार ककए िाने के ललए उपलब्ि रे्थ|  

अपीलार्थी की लशकायत यह है कक उच्च न्यायालय के समक्ष यह  

वर्वतनददणष्ट अलभर्वचन ककया गया र्था कक अपके्षक्षत योग्यता के संग

2

अपीलार्थी से कोई अधिक र्वररष्ठ अभ्यर्थी उपलब्ि नही ंर्था ज़िसे भारत  

ततब्बत पलुलस में तनरीक्षक (लेखपाल) के पद पर तनयज़ुक्त हेतु उपलब्ि  

नहीं र्था| ररट याधचका के परैा 5  में अपीलार्थी ने यह व्यक्त ककया है कक:  

“5 इसे उज़ल्लखखत करना उधचत है कक याची योग्य एरं्व रूधच रखन े र्वाले अभ्यधर्थणयों के बीच र्वररष्ठता का पात्र है ज़िन्होंन े आई.एस.टी.एम. से रोकड़ े एरं्व लेखा पाठ्यक्रम में उत्तीणण हुए हैं  परन्त ु प्रत्यर्थी संख्या 2 अर्विै एरं्व मनमाने रूप से याची की  र्वररष्ठता को उन अभ्यधर्थणयों से लमला रहे हैं िो न ही योग्य हैं और  न ही तनरीक्षक (लेखपाल) के पद पर तनयज़ुक्त में रूधच रखत ेहैं िो  भारत ततब्बत पलुलस सेर्वा तनयमों का खुला उल्लंघन है ज़िसके  अन्दर यह प्रार्विान है कक तनरीक्षक (लेखपाल) के पद पर तनयज़ुक्त  केर्वल योग्य आई.टी.बी.पी. संर्वगण से ही नही ं होगी बज़ल्क  एन.डी.आर.एफ. से आमेलन द्र्वारा भी ककया िाएगा| यहााँ उधचत  होगा कक उल्लेख ककया िाए कक याची अभी प्रतततनयज़ुक्त द्र्वारा  एन.डी.आर.एफ. में कायण कर रहा है और र्वो एन.डी.आर.एफ. के  मखु्यालय के अनमुोदन से आई.एस.टी.एम. से “रोकड़ एरं्व लेखा”  पाठ्यक्रम हेत ुचनुा गया र्था|  

इन अलभर्वचनों के उत्तर में प्रत्यर्थी द्र्वारा िर्वाब दायर ककया गया  

िो इस प्रकार है:   

“5. कक याधचका के परैा  5 के वर्वषय में यह तनरे्वदन है कक प्रत्यर्थी  संख्या 2 याची की र्वररष्ठता को अर्विै एरं्व मनमानी रूप से उन  अभ्यधर्थणयों से नही ं लमला रहे हैं िो तनरीक्षक (लेखा) के पद पर  तनयज़ुक्त के योग्य एरं्व इच्छुक हैं| याची ने एन.डी.आर.एफ. में  प्रतततनयज़ुक्त आिार पर कायण समयवर्वधि के दौरान क्रमानसुार पदों  पर कायण ककया है एरं्व र्वो आई.एस.टी.एम. से रोकड़ एरं्व लेखा  पाठ्यक्रम हेत ुचनेु गए रे्थ”|  

3

 

एरं्व कफर यह कहा गया कक:  

अतः याची को उक्त अर्विै अस्र्वीकृतत पत्र संख्या 1- 21018/01/2013/स्र्थापना-24660 ददनांक 30.11.2015 से लशकायत है  एरं्व र्वो उस पर अन्य आिारों सदहत तनम्न आिार पर आक्षेप करत े हैं:  

क. ) याची का प्रततवर्वरोि ठीक नही ंहै| उनकी तुलना आई.टी.बी.पी.  संर्वगण के अयोग्य एरं्व अतनच्छुक अभ्यधर्थणयों से नहीं की गई|  र्वास्तर्व में र्वररष्ठ तनरीक्षक/यो.लल. उक्त पाठ्यक्रम से उत्तीणण ही  नहीं हुए क्ययंकक उनका नामाकंन आई.एस.टी.एम. द्र्वारा नही ं ककया गया र्था| तर्थावप, अनर्थक प्रयासों के पश्चात ् आई.टी.बी.पी. के 25 र्वररष्ठ/इच्छुक तनरीक्षकगण/यो.लल. के ललए  आई.एस.टी.एम. रोकड़ एरं्व लेखा पाठ्यक्रम का एक वर्वशषे बचै  चलाने िा रही है ज़िसके 21.03.2016  से प्रारंभ होने की सयचना  है| अभी याची से कम से कम 170 र्वररष्ठ तनरीक्षक(यो.लल.)  रोकड़ एरं्व लेखा पाठ्यक्रम की प्रतीक्षा में लगे हुए हैं| इसललए  याची का आई.टी.बी.पी. में तनरीक्षक (लेखापाल) के पद पर  आमेललत ककए िाने का दार्वा बबल्कुल तनरािार एरं्व अतकण संगत  है एरं्व चल रही प्रणाली के वर्वरुद्ि है|    

यह तथ्यात्मक ज़स्र्थतत अपीलार्थी द्र्वारा प्रत्यतुर शपर्थपत्र दायर करके  

तनम्न शब्दों में नकारी गई:  

“कक उत्तर के परैा  5 का मिमयन गलत है एरं्व इसललए नकारा  िाता है एरं्व ररट याधचका के समरूपी परैा पनुः दोहराए िाते हैं  एरं्व उनकी पनुः पज़ुष्ट की िाती है| आगे यह तनरे्वदन ककया  िाता है कक तनरीक्षक (योिक ललवपक र्वगीय) से तनरीक्षक

4

(लेखा) के पद पर आमेलन कोई वर्वभागीय पदोन्नतत नही ंबज़ल्क  यह एक वर्वभाग से दयसरे वर्वभाग में अभ्यधर्थणयों में वर्वशषे  हुनर/ज्ञान होने के आिार पर समान र्वेतनमान पर केर्वल  आमेलन है एरं्व इसललए तनरीक्षक (लेखापाल) के पद पर लागय  प्रशासनीय तनयम भी र्वररष्ठता को तैनाती के मानदंड के रूप में  उज़ल्लखखत नही ं करता| उक्त प्रशासनीय तनयम केर्वल यह  उज़ल्लखखत करत े हैं कक अभ्यर्थीगण ककसी मान्यता प्राप्त  संस्र्थान से रोकड़ एर्वं लेखा पाठ्यक्रम ककए हों एरं्व धचककत्सीय  रूप से ठीक हों”|   

 

एरं्व कफर यह व्यक्त ककया गया है कक:  

“कक उत्तर के परैा 7 के मिमयन ग़लत हैं एरं्व इसललए नकारे िात ेहैं  तर्था ररट याधचका के समरूपी परैा िो याधचका के आिार को  अन्ततनणदहत ककए हैं को पनुः दोहराया िाता है एरं्व उनकी पनुः  पज़ुष्ट की िाती है| एरं्व यद्यवप यह तकरार है परन्त ु कफर से  तनरे्वदन ककया िाता है कक याची के मामले को स्क्रीतनगं सलमतत  को तनदेलशत ककए बबना खाररि कर ददया गया है| आगे प्रत्यधर्थणयों  का यह प्रततवर्वरोि कक तनरीक्षक (लेखापाल) के पद आई.एस.टी.एम.,  नई ददल्ली में रोकड़ एरं्व लेखा की सीटों के आबंटन न होन े के  कारण ररक्त हैं बहुत ही भ्रलमत करने र्वाला है| सत्य तथ्य यह है  कक र्वषण 2015 में भी आई.एस.टी.एम, नई ददल्ली द्र्वारा अमकु सीटें  प्रत्याधर्थणयों को आबंदटत की गई र्थीं परन्तु र्वो उक्त प्रलशक्षण हेत ु ककसी अभ्यर्थी का नामांकन करने में वर्वफल रहे| आगे पनुः प्रत्यर्थी  की यह बहस कक याची एन.डी.आर.एफ. द्र्वारा अपने प्रशासनीय  आर्वश्यकताओं के चलते रोकड़ एरं्व लेखा पाठ्यक्रम हेत ुनामाकंकत  ककया गया र्था बहुत ही अनर्थणक है एरं्व उसके उत्तर में यह पनुः  तनरे्वदन ककया िाता है कक िब वर्वभाग के भीतर अभ्यधर्थणयों की  अयोग्यता के कारण प्रतततनयज़ुक्त के आिार पर वर्वभाग

5

(आई.टी.बी.पी.) बाहर से अभ्यधर्थणयों को लेने पर वर्वर्वश है तो केर्वल  इस आिार पर कक र्वो आई.टी.बी.पी. द्र्वारा प्रलशक्षण पाठ्यक्रम हेत ु नामांककत नही ंककया गया र्था याची के अभ्यर्थणता की उपेक्षा करन े का कोई तकण  नही ं िबकक र्वो आई.टी.बी.पी. संर्वगण से ही संबंि  रखता है एरं्व उसके पास आर्वश्यक योग्यता भी है”|  

 

हम देखते हैं कक उच्च न्यायालय द्र्वारा आके्षवपत तनणणय में इन  

तथ्यात्मक पहलओंु का वर्वश्लेषण ही नही ं ककया गया र्था| हमें इस तथ्य  

का भी भलीभांतत आभास है कक उच्च न्यायालय में आके्षवपत तनणणय के  

परैा 4  में इसे नोट ककया है कक याची ने अपने प्रत्यतु्तर में स्र्वयं ही राम  

लसहं, मनमोहन लसहं एरं्व वर्वमलेश कुमार ततर्वारी के नामों को ददया है|  

तर्थावप, उच्च न्यायालय ने पक्षकारों द्र्वारा उठाए गए मदु्दों को पयणण रूप  

से नहीं देखा है| अतः हमारा मन बन रहा है कक हम पक्षकारों को  

अपीलार्थीगण के उपरोक्त लसलमत लशकायत पर ररट याधचका के पनुः  

वर्वचारण हेत ुउच्च न्यायालय भेि दें  |  

उच्च न्यायालय आके्षवपत तनणणय में ककए गए पयणरे्वक्षण से प्रभावर्वत  

हुए बबना वर्वधिर्वत रूप से व्यक्त ककए गए मदु्दे को पनुः तनखणणत करेगा|  

6

 अपील स्र्वीकार की िाती हैं| ररट याधचका उच्च न्यायालय में इसके  

पनुः तनणणय हेत ुउसके फाइल पर अपनी मयल संख्या में पनुः स्र्थावपत की  

िाती है|   

न्या. ....................  (ए.एम.खानवर्वलकर)  

   

न्या. ...................  (अिय रस्तोगी)  

नई ददल्ली;  िनर्वरी 15,2019  

              

7

मद स.ं  15                                        न्यायालय सं. 10                                         िारा XIV    

भारतीय सर्वोच्च न्यायलय  कायणर्वादहयों का अलभलेख  

 

अपील हेत ुवर्वशषे अनमुतत याधचका (दीर्वानी) संख्या  1926-1927/2017       

(ददल्ली उच्च न्यायालय, नई ददल्ली द्र्वारा ररट याधचका (दीर्वानी) संख्या  494/2016 में ददनाकं 12.07.2016  को, ररट याधचका (दीर्वानी) संख्या  494/2016  में ददनाकं 23.08.2016 को एरं्व पनुवर्वणलोकन याधचका संख्या  371/2016 में पाररत आके्षवपत अंततम तनणणय एरं्व आदेश से उत्त्पन्न)     

 

प्रबीर पाल          अपीलार्थी(गण)  

बनाम  

भारत संघ एर्व ंअन्य                                प्रत्यर्थी(गण)  

 

ददनाकं: 15.01.2019  इन याधचकाओं को सनुर्वाई हेतु आि बलुाया गया  

कोरम:  

माननीय न्यायािीश ए.एम.खानवर्वलकर  माननीय न्यायािीश अिय रस्तोगी  

 

याची(गण) तनलमत्त  श्री अतनल कुमार ततर्वारी, अधि.  श्री अलमत पर्वन, अलभ. अधि.   

 

प्रत्यर्थी(गण) तनलमत्त  सशु्री वपकंी आनंद, ए.एस.िी.  सशु्री र्वी.मोहाना, र्वरर. अधि.  श्री र्वी.बालािी, अधि.  सशु्री कृततका सचदेर्वा, अधि.   सशु्री ततनशा समनता, अधि.  श्री बी.र्वी.बलराम दास, अलभ. अधि.   श्री बी. कृष्णा प्रसाद, अलभ. अधि.  

8

अधिर्वक्तागण को सनुने पर न्यायालय ने तनम्न आदेश पाररत ककए     

 

हस्ताक्षररत आदेश की शतों के अिीन अपीलें स्र्वीकार की िाती हैं |  

 

लंबबत आर्वेदन पत्र, यदद कोई हों, तनपटाए िात ेहैं |  

   

   

(दीपक लसहं)                        (अनीता रानी आहयिा)  कोटण मास्टर (एस.एच)         कोटण मास्टर (एन.एस.एच)      

 

[हस्ताक्षररत आदेश फाइल में लगा है]        

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अस्र्वीकरण: देशी भाषा में तनणणय का अनुर्वाद मुकद्द्मेबाि के सीलमत  प्रयोग हेतु ककया गया है ताकक र्वो अपनी भाषा में इसे समझ सकें  एरं्व  यह ककसी अन्य प्रयोिन हेतु प्रयोग नहीं ककया िाएगा| समस्त कायाणलयी  एरं्व व्यार्वहाररक प्रयोिनों हेतु तनणणय का अंगे्रिी स्र्वरूप ही अलभप्रमाखणत  माना िाएगा और कायाणन्र्वयन तर्था लागय ककए िाने हेतु उसे ही र्वरीयता  दी िाएगी |